15 May 2007

डॉ॰ अंजलि देवधर के लिए

पेज- ०6
द्विभाषीय हिन्दी-अंग्रेजी प्रकाशन - 2007
-अंजलि देवधर

आवरण : अंजलि देवधर

इस पुस्तिका में प्रयोग किये गये कोबायाशी इस्सा के हाइकु डॉ. डेविड जी लैनऊ की वेबसाइट http://haikuguy.com/issa से लिये गए हैं और रेखाचित्र http://enchantedlearning.com वेबसाइट से लिये गये हैं।

आज़ाद हिन्द स्टोर्ज़ (प्रा.) लि.
एस.सी.ओ. 34, सेक्टर १७-ई,
चण्डीगढ़-160017 (भारत)

7
प्रस्तावना
बहुत समय पहले पुराने जापान के ठण्डे, बर्फीले पहाड़ों में इस्सा रहते थे। उन्हें जानवरों, फूलों और समस्त प्राणियों से बहुत प्यार था। उन्हें हाइकु लिखना बहुत पसन्द था और वह हर चीज़ जिसे वे देखते, सुनते, छूते, सूंघते या चखते उस पर हाइकु (एक छोटी कविता) लिख डालते। उन्हें सभी सादा और सामान्य वस्तुएँ उत्साहित करती थीं क्योंकि वे जानते थे कि संसार की हर चीज़ एक विशेष खज़ाना होती है यदि हम उस पर ध्यान दें। जब वे केवल 13 वर्ष के थे, वे अपना पहाड़ी गाँव छोड़कर इदो (आधुनिक तोक्यो) के बड़े शहर को चले गए। बाद में वे जापान के हर कोने में भ्रमण करते रहे और सब छोटी-बड़ी चीज़ों को ध्यान से देखकर हइकु लिखते रहे। जब वे बड़े हुए तो अपने गाँव वाले घर में लौट आए और विवाह कर लिया। जब वह इस संसार को छोड़कर गए तो हमारे लिए एक उपहार छोड़ गए : २०,००० से अधिक हाइकु जो उनके विशेष पलों के बारे में हैं।
-अंजलि देवधर
मार्च, 2007


9
नव वर्ष की पतंग -
हरे पत्तों के बीच से बाहर
फिर वापस अन्दर
10
नटखट बच्चा
पहली कोशिश कर रहा-
वर्ष की पहली लिखाई
11
नाचती तितलियाँ -
मेरी यात्रा ठहर-सी गई
कुछ देर के लिये
12
कुएं की बाल्टी में भी
सारी रात टरटराता रहा-
एक मेंढक
13
मकड़ी के सभी बच्चे
बिखर गये
कमाई करने के लिये
14
मेरी परछाईं के पास ही
परछाईं
एक मेंढक की
15
वह कूदता है, वह गाता है-
मेंढक वर्षा में भीगी
घास में
16
कौए को भगा रही
दस या बारह गज-
माँ गौरैया
17
झूले पर झूलते
पकड़े हुए
चेरी के फूल
18
भिखारी बालक माँग रहा
रुआंसी आवाज़ में-
एक गुड़िया
19
हरी काई -
दूर से मेरी गोदी तक
वसन्त का इंद्रधनुष
20
कुत्ता जो चमक रहा
जुगनुओं से
मस्त सो रहा
21
मत मारो उस मक्खी को !
हाथ मल रही
पैर मल रही
22
एक मच्छर
गुनगुना रहा दिन भर-
मेरा तकिया
23
मधुमक्खियों से भागते
बन्दर की घबराई हुई
आँखें
24
मेरा उछलता-कूदता मार्ग-दर्शक
भाटे में तट पर-
गाँव का कुत्ता
25
पर्वत से आया धुँआ -
मेरा कागज़ का पंखा
इसे आगे धकेल रहा
26
तरबूज के पत्तों की छाया में
एक बच्चा
बिल्ली का ।
27
मेरे पैरों पर
कब आ गये तुम यहाँ ?
घोंघे ।
28
उत्सव के लिये जा रही
पूरी तरह लाल रंग में
व्याध पतंग
29
एक क्षण के लिए
अंधेरा चमक उठता है-
पटाखे।
30
दो बार ले गया
नये वर्ष की भेंट
नन्हा लड़का
31
पिघलती बर्फ में
गाँव उमड़ उठा-
बच्चों से!
32
ठोढ़ी तक ढँका
गिरे हुए फूलों में-
एक मेंढक !
33
अपनी गर्दन लम्बी कर
बत्तख झाँकती है
मेरे दरवाजे से
34
अपनी पतंग से लिपटकर
जल्दी से सो जाती है-
वह बच्ची
35
नीले आकाश तक उठ रही
गौरैया के बच्चे की
पहली आवाज़

36
जैसे वह गिरे हों
स्वर्ग से-
चेरी के फूल
37
बसन्त की वर्षा-
बत्तखें ठुमकती-ठुमकती चलीं
दरवाजे की ओर ।


38
आभार
यह पुस्तक आनंत, इशा, सचिन और विश्व के बच्चों केा समर्पित है। अंग्रेजी हाइकु और उनके जापानी अनुवाद प्रो. डेविड जी. लेनुओ की वेबसाइट-
http://haikuguy.com/issa से लिये गए हैं। उनके इस सहयोग के लिए मैं उनका आभार प्रकट करती हूँ। जापानी में प्रस्तावना का साकुओ नाकाम्युरा ने अनुवाद किया है, जिसके लिए मैं आभारी हूँ। आशा है कि बच्चे और उनके माता पिता इस पुस्तक को पढ़कर इस्सा की हाइकु कविताओं का आनंद लेंगे। बच्चे इस्सा की हाइकु कविताओं पर चित्र बनाकर तथा उनमें रंग भरकर अपनी कलात्मक प्रतिभा और कल्पना शक्ति का परिचय देंगे एवं इस्सा की हाइकु कविताओं के साथ स्वयं को भावानात्मक रूप से जुड़ने का अद्भुत आनंद उठा सकेंगे।

-अंजलि देवधर

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